लेखनी कहानी -13-Nov-2022 खेल
जा तो रहे हो तुम
पर किधर जाओगे
हमें इस तरह छोड़कर
अकेले क्या रह पाओगे ?
अधरों की लाली में देखो
मेरे नाम का कलर मिलेगा
मांग के सिंदूर, बिंदिया में
मेरी उल्फत का असर मिलेगा
लबों पर मेरे नाम की मिठास है
गालों पर उलझी लटों की खटास है
मुस्कुराओगी तो मैं याद आऊंगा
सीने में मेरे दबे दबे से अहसास हैं
रिश्तों की पायल बंधी है पैरों में
सिमटी सी रहोगी वहां गैरों में
कंगन जब मेरे गीत गुनगुनाएगा
मेरी यादों से बचाने कौन आयेगा ?
एक पल भी ना रह पाओगी बिन मेरे
काटे नहीं कट पायेंगे अब दिन तेरे
मैं ही तेरी दुनिया हूं अब तो सनम
हम दोनों का साथ रहेगा हर जनम
लुका छिपी का यह खेल मत खेलो
बैठे ठाले गमों का बोझ मत झेलो
हम तुम एक ही टीम के खिलाड़ी हैं
प्यार के खेल मे दोनों ही अनाड़ी हैं
श्री हरि
Gunjan Kamal
16-Nov-2022 07:40 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Haaya meer
13-Nov-2022 06:57 PM
Amazing
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Hari Shanker Goyal "Hari"
14-Nov-2022 01:17 AM
🌷🌷🙏🙏
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Khushbu
13-Nov-2022 04:04 PM
Nice 👍🏼
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Hari Shanker Goyal "Hari"
14-Nov-2022 01:16 AM
🌷🌷🙏🙏
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